प्रश्न: हमें विपश्यना ही क्यों करनी चाहिए क्योंकि भारत में विभिन्न प्रकार की विधियां हैं.
उत्तर: हम नहीं कहते कि भारत की विभिन्न प्रकार की विधियां बंद हो जाएं। जिसको जो अनुकूल लगे सो करे लेकिन समझे कि कौन-सी चीज उसके लिए अधिक लाभदायक है तो करके देखें और लगे कि इससे तो अधिक लाभ मिलता है तो इसको करें । यह अंधविश्वास नहीं है । यह तो सच्चाई का दर्शन कराती है तो इसे करें। यह किसी को एक संप्रदाय में नहीं बांधती, इसलिए इसे करें । यह अभी आशुफलदायिनी है । अभी-का-अभी अपना परिणाम देती है, अच्छा परिणाम देती है इसलिए करें । लेकिन हर व्यक्ति स्वयं अनुभव करके तब करे, अंधविश्वास से नहीं ।
प्रश्न : विपश्यना का समाज में क्या उपयोग है?
उत्तर: स्वस्थ रहने का क्या उपयोग होता है? शरीर से आदमी बीमार रहे और समाज के सारे आदमी बीमार-ही-बीमार हैं तो यह कैसा समाज होगा? ठीक इसी प्रकार मन से स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है। अगर सारे लोग मन से अस्वस्थ हैं तो समाज अस्वस्थ हो जाएगा । यह मन को स्वस्थ बनाने की विद्या है । इसलिए समाज के लिए बहुत आवश्यक है ।
प्रश्र : आतंकवाद के इस समय में विपश्यना कैसे सहायक बन सकती है?
उत्तर : बहुत सामयिक प्रश्न है । आतंकवाद से जो भय पैदा होता है। लोग डरते रहते हैं क्या हो जाएगा, मुझे क्या हो जाएगा, मेरे परिवार को क्या हो जाएगा? मेरे देश को क्या हो जाएगा? इस भय से आतंकवादियों को प्रोत्साहन मिलता है। वे लोगों को भयभीत करके अपने मन की बात मनवाना चाहते हैं; और हम भयभीत हो गए तो उनका काम बन गया । विपश्यना निर्भय बनाती है । किसी अवस्था में भय ना आए हमारे सामने, हम सामना करेंगे । सरकार निर्भीक होकर सामना करेगी और लोग भी निर्भीक होकर सामना करेंगे। भय नजदीक नहीं आएगा ।
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