Tuesday, February 18, 2020

मृत्यु

🌹बुद्ध--
मृत्यु सभी प्राणियों का अनिवार्य धर्म-स्वभाव है।
केवल गाँव वालो का नही, केवल नगर वालो का नही, केवल एक कुल के लोगो का ही नही, यह तो देवताओ समेत सभी लोगो का धर्म-स्वभाव है।

🌻सभी अनित्यधर्मा है, सभी मरणधर्मा है।
इस सच्चाई को जो नही समझते वे पुत्रो, पशुओ और धन- सम्पतियों के प्रति आसक्त रहते हैं।
मोह-मूढ़ता में बेहोश रहते है और जन्म-जन्मांतरों तक बार बार मृत्यु के चंगुल में पड़े रहते हैं।

💐जैसे नदी में एकाएक आयी हुई बाढ़ गहरी नींद में सोये हुए गाँव को बहा कर ले जाती है, वैसे ही इन प्रमत्त आसक्त लोगो को बार बार मृत्यु बहा कर ले जाती है।

🍁कोई इस मोह-निद्रा से जागे, अपने भीतर अनित्यबोध जगाये, उदय-व्यय का दर्शन करे तो ही जन्म-जन्मांतरों के मृत्यु-दुःख से सदा के लिये मुक्त हो सकता है।

🌺सौ वर्षो तक बिना उदय-व्यय का दर्शन किये जीने की अपेक्षा उदय-व्यय का दर्शन करते हुए एक दिन का जीवन ही अधिक श्रेष्ठ है।