Thursday, November 14, 2019

विपश्यना साधना परिचय 🌷 (Hindi -English)

🌷 विपश्यना साधना परिचय 🌷  (Hindi -English) 

विपश्यना (Vipassana) भारत की एक अत्यंत पुरातन ध्यान-विधि है। 

इसे आज से लगभग २५०० वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने पुन: खोज निकाला था। 

विपश्यना का अभिप्राय है कि जो वस्तु सचमुच जैसी हो, उसे उसी प्रकार जान लेना। यह अंतर्मन की गहराइयों तक जाकर आत्म-निरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की साधना है। अपने नैसर्गिक श्वास के निरीक्षण से आरंभ करके अपने ही शरीर और चित्तधारा पर पल-पल होने वाली परिवर्तनशील घटनाओं को तटस्थभाव से निरीक्षण करते हुए चित्त-विशोधन और सद्गुण-वर्धन का यह अभ्यास (Dhamma), साधक को किसी सांप्रदायिक आलंबन से बॅंधने नहीं देता। 

इसीलिए यह साधना सर्वग्राह्य है, बिना किसी भेदभाव के सबके लिए समानरूप से कल्याणकारिणी है।

1) विपश्यना क्या नहीं है:

विपश्यना अंधश्रद्धा पर आधारित कर्मकांड नहीं है।यह साधना बौद्धिक मनोरंजन अथवा दार्शनिक वाद-विवाद के लिए नहीं है।यह छुटी मनाने के लिए अथवा सामाजिक आदानप्रदान के लिए नहीं है।यह रोजमर्रा के जीवन के ताणतणाव से पलायन की साधना नहीं है।

2)  विपश्यना क्या है:

यह दुक्खमुक्ति की साधना है।

यह मनको निर्मल करने की ऐसी विधि है जिससे साधक जीवन के चढाव-उतारों का सामना शांतपूर्ण एवं संतुलित रहकर कर सकता है। यह जीवन जीने की कला है जिससे की साधक एक स्वस्थ समाज के निर्माण में मददगार होता है।

विपश्यना साधना का उच्च आध्यात्मिक लक्ष्य विकारों से संपूर्ण मुक्ति है। उसका उद्देश्य केवल शारीरिक व्याधियों का निर्मूलन नही है। लेकिन चित्तशुद्धि के कारण कई सायकोसोमॅटीक बीमारिया दूर होती है। 

वस्तुत: विपश्यना दुक्ख के तीन मूल कारणों को दूर करती है—राग, द्वेष एवं अविद्या। 

यदि कोई इसका अभ्यास करता रहे तो कदम-कदम आगे बढ़ता हुआ अपने मानस को विकारों से पूरी तरह मुक्त करके नितान्त विमुक्त अवस्था का साक्षात्कार कर सकता है।

चाहे विपश्यना बौद्ध परंपरा में सुरक्षित रही है, फिर भी इसमें कोई सांप्रदायिक तत्त्व नहीं है और किसी भी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति इसे अपना सकता है और इसका उपयोग कर सकता है। 

विपश्यना के शिविर ऐसे व्यक्ति के लिए खुले हैं, जो ईमानदारी के साथ इस विधि को सीखना चाहे। इसमें कुल, जाति, धर्म अथवा राष्ट्रीयता आड़े नहीं आती। 

हिन्दू, जैन, मुस्लिम, सिक्ख, बौद्ध, ईसाई, यहूदी तथा अन्य सम्प्रदाय वालों ने बड़ी सफलतापूर्वक विपश्यना का अभ्यास किया है। 

चूंकि रोग सार्वजनीन है, अत: इलाज भी सार्वजनीन ही होना चाहिए।

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🌷 Introduction to the Technique: 🌷

Vipassana is one of India's most ancient meditation techniques. Long lost to humanity, it was rediscovered by Gotama the Buddha more than 2500 years ago. 

The word Vipassana means seeing things as they really are. It is the process of self- purification by self-observation. 

One begins by observing the natural breath to concentrate the mind. 

With a sharpened awareness one proceeds to observe the changing nature of body and mind and experiences the universal truths of impermanence, suffering and egolessness. 

This truth-realization by direct experience is the process of purification. 

The entire path (Dhamma) is a universal remedy for universal problems and has nothing to do with any organized religion or sectarianism. 

For this reason, it can be freely practiced by everyone, at any time, in any place, without conflict due to race, community or religion, and will prove equally beneficial to one and all.

1) What Vipassana is not:

It is not a rite or ritual based on blind faith.
It is neither an intellectual nor a philosophical entertainment.
It is not a rest cure, a holiday, or an opportunity for socializing.
It is not an escape from the trials and tribulations of everyday life.

2) What Vipassana is:

It is a technique that will eradicate suffering.
It is a method of mental purification which allows one to face life's tensions and problems in a calm, balanced way.

It is an art of living that one can use to make positive contributions to society.

Vipassana meditation aims at the highest spiritual goals of total liberation and full enlightenment. Its purpose is never simply to cure physical disease. 

However, as a by-product of mental purification, many psychosomatic diseases are eradicated. In fact, Vipassana eliminates the three causes of all unhappiness: craving, aversion and ignorance. 

With continued practice, the meditation releases the tensions developed in everyday life, opening the knots tied by the old habit of reacting in an unbalanced way to pleasant and unpleasant situations.

Although Vipassana was developed as a technique by the Buddha, its practice is not limited to Buddhists. There is absolutely no question of conversion. 

The technique works on the simple basis that all human beings share the same problems and a technique which can eradicate these problems will have a universal application. 

People from many religious denominations have experienced the benefits of Vipassana meditation, and have found no conflict with their profession of faith.

https://www.dhamma.org/hi/about/qanda